ऐक्टर बनना है? लेकिन सब क्यों नहीं बन पाते?

ऐक्टर बनना है? लेकिन सब क्यों नहीं बन पाते?

ऐक्टर बनना है? लेकिन सब क्यों नहीं बन पाते?

कई लोग ऐक्टर बनना चाहते हैं, लेकिन सब बन नहीं पाते। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि वो सीधा फ़िल्म या सीरियल में 'काम करने' का सोचते हैं। इसे आप उनका सपना कहिये, चाहत या इच्छा कह लीजिए। लेकिन वो भूल जाते हैं कि काम मिलने के लिए पहले अच्छे से ऐक्टिंग भी आनी चाहिए। आप इस क्षेत्र में नए हों और भले ही ख़ुद को जन्मजात ऐक्टर मानते हों, लेकिन आपकी ऐक्टिंग प्रोफ़ेशनल पैमानों पर खरी उतरनी चाहिए तभी कोई आपको काम भी देगा और काम करने का पैसा भी।

नए लोगों को लगता है कि वो तो अच्छे ऐक्टर हैं, जो अक्सर ग़लतफ़हमी होती है। जैसे कई लोगों को लगता है कि वो तो बहुत अच्छे गायक हैं। ऐसे लोग जब 'इंडियन आइडल' के ऑडिशन में पहुँचते हैं तब भी वो ख़ुद को अच्छा सिंगर ही मान रहे होते हैं, लेकिन दरअसल वो मज़ाक़ के पात्र बन जाते हैं। लोगों को हँसाने के लिए उनके ये ऑडिशन भी शो में दिखाए जाते हैं। डांस शो 'डीआईडी' में भी ऐसा होता है। लोगों को लगता है कि वो तो बहुत अच्छे डांसर हैं, जबकि होते नहीं। ठीक इसी तरह फ़िल्म या सीरियल के लिए भी ऑडिशन होते हैं। लेकिन ये ऑडिशन आमतौर पर सीक्रेट होते हैं, इसलिए इन्हें ओपन नहीं किया जाता। वरना वहाँ भी ऐक्टिंग के नाम पर बहुत लोग कुछ भी करने लगते हैं और उन्हें लग रहा होता है कि उन्होंने कमाल का ऑडिशन दिया। हर जगह बड़ी संख्या ऐसे लोगों की ही है। कुछेक ही होते हैं जिनमें कुछ पोटेंशल दिखता है या जो अच्छा कर रहे होते हैं। उन्हीं को चुना जाता है। इन कुछेक में से ज़्यादातर ट्रेण्ड होते हैं, मतलब सीखे हुए होते हैं। इसलिए ऐक्टिंग के ऑडिशन में सबसे बड़ा कॉम्पीटीशन ट्रेण्ड ऐक्टर्स के बीच ही होता है, जिनकी संख्या समझिए बहुत कम होती है। तो आपको अगर ऐक्टर बनना है तो मुंगेरी लाल के हसीन ख़्बाब मत देखिए। उस सपने को सच करने के लिए सिलसिलेवार ज़रूरी क़दम उठाते जाइए। अच्छी ट्रेनिंग के साथ ऐक्टिंग के प्रति आपका समर्पण, फ़ोकस, अनुशासन होगा तो आपको जल्दी ही मंज़िल मिल जाएगी।
जैसे सचिन तेंदुलकर का उदाहरण लीजिए। बचपन से ही क्रिकेटर बनने का सोचा, लेकिन साथ-साथ पूरे जोश से ट्रेनिंग भी चलती रही। इसी कड़े परिश्रम ने उन्हें इस लायक तैयार किया कि कम उम्र में ही उनका भारतीय टीम में सिलेक्शन हो गया और फिर विश्व के महान बल्लेबाज़ बन गए। तो जो बनना है, उसकी ट्रेनिंग के बिना आपमें वो बात आएगी ही नहीं कि लोग आपसे प्रभावित हो सकें।
इसीलिए ज़रूरी है कि आप प्रोफ़ेनल ऐक्टर बनने के लिए फ़िल्म ऐक्टिंग की ट्रैनिंग लें। ट्रैनिंग से ही आप बहुत कम समय में उस लायक बन पाएंगे कि फ़िल्म या सीरियल में काम कर सकें। ऐक्टिंग की बारीकियों के साथ-साथ कई बहुत ज़रूरी तकनीकी पहलू भी आपको सीखने को मिलेंगे। इससे आपको काम जल्दी भी मिलेगा और आप सेट पर अच्छे से ऐक्टिंग कर भी सकेंगे। अच्छे ऐक्टर को पैसा भी ज़्यादा मिलता है। इस तरह आप कम समय में ही तैयार हो जाएंगे।
ऐक्टिंग क्लास जॉइन करने का एक और फ़ायदा यह है कि आपको कुछ ही दिनों में पता चल जाएगा कि ऐक्टिंग के प्रति आपका रुझान सिर्फ़ ग्लैमर या चकाचौंध की वजह से है या आपके भीतर सचमुच में ऐक्टिंग है। अगर ऐक्टिंग सीखने और इसके लिए ज़रूरी हर चीज़ को करने में आपको मज़ा आ रहा है तो फिर आप ऐक्टिंग के लिए ही बने हैं। आपको पता लग जाएगा कि ऐक्टिंग आपकी ताक़त है या नहीं। इससे आपके भीतर का ऐक्टिंग का भूत उतर जाएगा या फिर आप ऐक्टर बन जाएंगे। मत भूलिए कि कास्टिंग डायरेक्टर्स, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, प्रोडक्शन हाउस ऐसे ही ऐक्टर ढूंढते हैं जो अपने क्राफ़्ट को समझते हों, जो अच्छे ऐक्टर हों। अनाड़ी लोगों को लेकर वो अपना पैसा और वक़्त बरबाद करने की कतई नहीं सोचते। इसलिए पहले ख़ुद को इस लायक बना लीजिए कि लोग आपको अच्छा काम देने के क़ाबिल समझने लगें। फिर काम की कमी नहीं होगी। आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर काम में जुट जाइए। नया साल आ रहा है। कुछ नया और बेहतर करने की सोचिए। शायद नए साल में आपकी पहचान अच्छे ऐक्टर के रूप में होने लगे। शुरू कीजिए।